वानी

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आरव और जिनी की शादी

आर्यन चैप्टर 14

               

अब तक आपने पढ़ा धर्मवीर जी अपनी जायदाद जीनी के नाम कर देते हैं और जीनी को विदेश भेजने के लिए कहते हैं लेकिन आरव कहता है की वो जीनी को अपने साथ ले जाने के लिए कहता है लेकिन धर्मवीर उसे मना करते हैं और आरव को ना मानता देख रंधीर अपने लोगों को उसे मारने के लिए बुलाता है

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अब आगे

वो आदमी जैसे ही आरव को मारने वाला होता है आरव झुक कर उसके पैरों पर तलवार से वार करता है , वो आदमी वहीं गिर पड़ता है, इसी तरह आरव सबको मारता जा रहा था,

एक 15 साल के लड़के को अपने लोगों पर भारी पड़ता देख रणधीर गुस्से में अपनी गन निकालता है और जैसे ही आरव को शूट करने वाला होता है
कोई उसकी गन उपर कर देता है, जब सब उस तरफ देखते हैं तो ये धर्मवीर जी थे

रणधीर असमंजस में उन्हें देख रहा था, सबकी नज़र धर्मवीर पर थी,
धर्मवीर जी मुस्कुराते हुए आरव की तरफ बढ़ जाता है
उन्हें अपने पास आता देख , आरव खुद को लड़ने के लिए तैयार करता है

धर्मवीर जी मुस्कुराते हुए कहते हैं "मन्ने थारे से ना लड़ना छोरे, जैसा जीवन साथी मन्ने छोरी के लिए सोचा था, तु बिल्कुल वैसो ही है छोरा, अब तक यो शादी सिर्फ बंद कमरे में हुई से 2 दिन बाद पुरे समाज के सामने होगी तैयारियां करो"

इतना केहकर धर्मवीर जी वहाँ से चले जाते हैं उनके जाते ही सारे आदमी भी वहाँ से चले जाते हैं और रणधीर गुस्से में वहाँ से चला जाता है

रंजना जी भागते हुए आती हैं और आरव को गले लगाते हुए केहती हैं "बेटा तुम ठीक हो ना" उनको फिकर करता देख आरव मुस्कुराते हुए कहता है "मॉम आप फिकर मत करिये मैं ठीक हूँ"

करमवीर जी उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहते हैं "मुझे जीनी की परवाह कभी नहीं होगी, क्योंकि उसके पति तुम जो हो"

उनकी बात सुन आरव शर्मा जाता है, जीनी जो कबसे खामोश खड़ी थी वो सबके सामने आती है, और आरव को अपनी नम आँखो से देखते हुए केहती है "अगर मैं कल को बदसूरत हो जाऊँ तो क्या तुम मुझे छोड़ दोगे"

उसकी बात सुन सब उसे असमंजस में देखने लगते हैं, तभी आरव उसके करीब जाता है और उसे गले लगाते हुए कहता है "तुम ज़ादा दिमाग मत लगाओ, तुम्हारे बिना मेरे जुनून का कोई वजूद ही नहीं है"

फिर उससे अलग होता है, और अपने घर के लिए निकल जाता है,
शादी की तैयाराइयाँ ज़ोरो पर थी, दूसरी तरफ जीनी अपना समान पैक कर रही थी

इधर कौशल्या किसी गहरी सोच में थी तभी रंजना जी उनके कंधे पर हाथ रखते हुए केहती हैं "क्या बात है तुम परेशान क्यों हो? "

कौशल्या जी थोड़ा हिचकिचाते हुए केहती हैं "रंजना... वो... बात ऐसी है... तुम तो जानती हो एक पति और पत्नी का रिश्ता कैसा होता है, और... जीनी अभी बहुत छोटी है"

रंजना जी मुस्कुराते हुए केहती हैं "तुम फिकर मत करो आरु भी अभी बच्चा ही है, और तुम भी जानती हो वो दुनिया में सबसे ज़ादा जीनी को चाहता है, उसे कभी चोट नहीं पहुंचाएगा"

फिर दोनो अपने काम मे लग जाती हैं...

शादी का दिन था, सब शादी की तैयारियों में व्यस्त थे, मंडप भी तैयार था, आरव मंडप में बैठा पूजा कर रहा था, तभी वहाँ जीनी भागती हुई आती है, और आरव के पीछे खड़े होते हुए केहती है "आरु मैं कैसी लग रही हूँ"

उसकी आवाज़ सुन आरव खड़ा हो जाता है, और उसे उपर से नीचे तक देख कर कहता है "तुम्हें आराम से आने के लिए कहा था ना, ये क्या तरीका है"

उसकी डांट सुन जीनी उदास हो जाती है, उसे उदास देख आरव उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे बगल में बैठाते हुए कहता है अच्छी लग रही हो अब बैठो और पूजा करो मेरे साथ "

दोनो पूजा करने लगते हैं, पंडित जी दोनो को फेरे लेने के लिए कहते हैं, तो आरव उठ कर खड़ा हो जाता है लेकिन जीनी उठ नहीं पा रही थी, एक तो वो इतनी छोटी सी उपर से उसका भारी सा लहेंगा और गहने, उसकी आँखो में आँसू आ जाते हैं

उसे रोता देख आरव उसके पास बैठ जाता है और परेशान होते हुए कहता है "क्या हुआ? तुम रो क्यों रही हो? "

जीनी मासूम से शकल बनाते हुए केहती है "मैं खड़ी नहीं हो पा रही हूँ देखो माँ ने कितना भारी लहेंगा पहनाया है"

कौशल्या जी उसके पास आती हैं और समझाते हुए केहती हैं "बेटा दुल्हन को ये सब पहनना ज़रूरी होता है और वैसे भी शादी बार बार थोड़ी होती है, बस एक बार होती है"

जीनी अपनी नम आँखो से कौशल्या जी को देखते हुए केहती है "माँ मैं बड़ी होकर दुबारा शादी कर लुंगी भारी लहेंगा पहन कर, अभी मुझसे उठा नहीं जा रहा है"

कौशल्या जी कुछ केहती उससे पहले ही आरव जीनी को संभाल के खड़ा करता है और ले जाते हुए केहता है
"तुम दूसरा कुछ पहन लो, जो तुम्हें तकलीफ दे उसे मैं तुम्हारे करीब नहीं रहने दूंगा"

तभी पंडित जी कहते हैं "नहीं बेटा अब आप बाहर गए, तो आपशगुन होगा"

आरव उन्हें घूरते हुए कहता है "मुझे फर्क नहीं पड़ता"

तभी जीनी केहती है "ये आपशगुन क्या होता है"
पंडित जी बस डराने के लिए कह देते हैं "आरव बेटा की जान को खतरा हो सकता है"

जीनी का इतना सुनना था की वो चुप चाप खड़ी हो जाती है, और पंडित से घबराते हुए केहती है "आप शादी करवाइये, और कुछ नहीं"

आरव उसे घूरते हुए कहता है "तुम्हें चेंज करने के लिए बोला है मैने"

जीनी उसे देख अपनी आँखे टिमटीमाते हुए केहती है "मैं ठीक हूँ आरु चलो ना शादी करते हैं"

दोनो मंडप में बैठ जाते हैं , फेरे होते हैं, आरव जीनी को मंगलसूत्र पेहनाता है, और सिंदूर लगाने जाता है, तभी जीनी मासूम सी शकल बनाते हुए केहती है "थोड़ा सा लगाना मेरी आँख में गया तो सोच लेना"

आरव बिल्कुल थोड़ा सा सिंदूर उसकी माँग में भर देता है...फिर दोनो सबका आशीर्वाद लेने लगते हैं जीनी आरव को देख केहती है "अब मैं तुम्हारी पत्नी हूँ , तो तुम मुझे गिफ्ट दोगे ना"

आरव मुह बनाते हुए कहता है "तुम मुझे अच्छा अच्छा खाना बनाकर खिलाओगी तब मैं तुम्हें गिफ्ट दूंगा"

उसकी बात सुन जीनी अपना सिर झुकाते हुए केहती है "लेकिन मुझे खाना बनाने नहीं आता है"
आरव मुस्कुराते हुए कहता है "कोई बात नहीं, तुम माँ से सीख लेना"
उसकी बात सुन जीनी खुश हो जाती है....

कौशल्या जी कुछ याद करते हुए केहती हैं "मैं वो बिदाई वाली थाल अंदर ही भूल गई हूँ, अभी लेकर आती हूँ"

वो अंदर आती हैं और अपने कमरे की तरफ बढ़ जाती हैं, तभी उन्हें किसी की आवाज़ आती है, वो जब अंदर कमरे मे देखती हैं तो सामने का नज़ारा देख उनकी आँखे बड़ी हो जाती है....

ऐसा क्या देखा कौशल्या जी ने? शादी होने के बाद भी क्यों अलग हो गए आरव और जीनी? आखीर क्यों आरव आर्यन खन्ना बना?

जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी आर्यन इश्क की अनोखी दास्ताँ

            वानी


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1 Comments

Swati chourasia

07-May-2023 10:04 PM

Very beautiful story waiting for next part

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